Saturday, August 10, 2013

विश्वविजय का निश्चय करके,निकले दिल से मेरे गीत

जब भी कभी घोंसला नोचा,
अपने ही घर  वालों   ने  !
तब तब आश्रय दिया मुझे
कुछ, हंसों के दरवाजे ने  !
चूजों  तक ने सेवा की थी,
जब मुरझाये थे ये गीत !
कभी न, वे दिन भुला सकेंगे, आभारी हैं मेरे गीत ! 

याद खूब अपमान, अश्रु का
जिसे देख,कुछ लोग हँसे थे
सिर्फ तुम्हारी ही आँखों से ,
दो दो आंसू , साथ बहे थे  !
उन्ही दिनों लेखनी उठी थी,
अश्रु पोंछ कर,लिखने गीत !
विश्वविजय का निश्चय करके,निकले दिल से मेरे गीत !

दावानल के समय हमेशा
रिमझिम वारिश होती है !
जलती लपटों के समीप
जल भरी गुफाएं होती हैं !
शीतल आश्रय आगे आते, 
जब जब, झुलसे मेरे गीत !
चन्दन लेप लगा ममता ने, खूब सुलाए, घायल गीत ! 

हर खतरे में साथ रहे थे,
हर आंसू के साथ बहे थे
जब भी जलते तलुए मेरे
तुमने अपने हाथ रखे थे !
ऐसे प्यारों के कारण ही,
जीवन में लगता संगीत !
इनकी धीमी सी आहट से ,निर्झर झरते मेरे गीत ! 

धोखे की इस दुनियां में ,
कुछ प्यारे बन्दे रहते हैं !
ऊपर से साधारण लगते
कुछ दिलवाले, रहते हैं !
दोनों हाथ सहारा देते ,
जब भी ज़ख़्मी,देखे गीत !
अगर न ऐसे कंधे मिलते, कहाँ सिसकते मेरे गीत ! 

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