Thursday, July 11, 2013

तुम्हारे जन्म दिन पर -सतीश सक्सेना

आज तुम्हारे जन्मदिवस 
पर भीड़ बधाई लेकर आई
रिश्ते नाते यार दोस्त सब 
खड़े द्वार पर लिए  मिठाई
बिना निमंत्रण, भी आये हैं, 
दूर से चलके मेरे गीत !
याद दिलाने कुछ प्यारों की,खड़े यहाँ पर मेरे गीत !

कष्ट में वे ही, साथ रहे थे 

तुम  रोये, तो वे तडपे  थे !
तुम्हे यहाँ तक पंहुचाने में 
कैसे कैसे जतन किये थे  !
बरसों तक जो,सो न सके थे, 
हंस न सके थे,उनके गीत !
तुम्हें देखकर इस सीढ़ी पर, आँख अश्रु  भर लाते गीत  !

मंदिर मंदिर, दान किया था 

पीर औलिया, पर भटके थे !
द्वार द्वार पर हाथ जोड़कर 
कितने स्वाभिमान, तोड़े थे  !
बरसों तक हर हँसी के पीछे, 
अपना कष्ट छिपायें मीत !
कहीं  भूल न  जाना उनको , इतनी याद  दिलाएं  गीत !

जो  तेरी किलकारी सुनकर 
पूरे  दिन , हँसते  रहते  थे  !
कोई खतरा तुम पर आये ,
उस दिन भूखे, वही रहे थे !

सब कुछ खोया ,तुम्हें पढ़ाने ,
कभी न हाथ पसारे  मीत !
आज तुम्हारे जन्म दिवस पर,घर की याद दिलाएं गीत !

खुशबू आशीषों की लेकर ,

इस दुनियां में तुम महकोगे  ! 
बड़ी उमंगें, मन में लेकर ,
सबको हँसते हुए मिलोगे !  
विद्या, बुद्धि, ज्ञान निर्धारण, 
बचपन से कर देते ईश !
प्रतिभा सदा विजेता होगी, यही कामना करते गीत !


प्रभु का संग,हमेशा तुमको 
रक्षा का अहसास, दिलाये !
पृथ्वी की गोदी में, विहंसे ,
जी भर भर, आशीषें  पाए !
आदिशक्ति रक्षक हैं तेरे,
रोज दिलाये तुझको जीत ! 
ताज़ी हवा के हाथों तुमको, आशीर्वाद  भेजते गीत !


जैसे निर्मल जल को पाकर 
प्यासे को अमृत मिल जाए !
जैसे पावन  मन को पाकर, 
साथी को जीवन मिल जाए !
वैसे ही स्मरण मात्र से, 
खुश हो जाते मेरे गीत ! 
कब आओगे बापस घर को,राह देखते मेरे गीत !

आज तुम्हारे जन्मदिवस पर 

गीत तुम्हे, कुछ कहने आये !
शांत चित्त,अध्ययन ज्ञान का  
मूल मंत्र ,  सिखलाने   आये !
समय यही है,तन्मयता का , 
अंतिम ज्ञान सिखाये गीत !
शक्ति पुरुष हो ,माँ से मिलने, अर्जुन बनकर लौटें गीत !

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